Sunday 17 June 2012

परम गुरु माता अंजनी नंदन हनुमानजी, आदरणीय गुरूदेव श्री विजयशंकर मेहताजी को सादर समर्पित

हम जीवन भर उसे खुशहाल बनाने और  सफ़ल होने के लिए तरह तरह की वस्तुओं की कामना मन में  लिए भटकते रहते है . सफलता हर बार अगले मोड़ पर नजर आती है . शायद राह दिखाने वाले गुरुदेव के आशीर्वाद के अभाव मे, सही मार्गदर्शन नहीं मिलने के कारन हम सफलता के करीब पहुच कर भी सफल नहीं हो पाते .
कहते है भगवन श्रीकृष्ण जगतगुरु है उन्होंने भगवत गीता का ज्ञान केवल अर्जुन को  ही नहीं वरन पूरी  मानव  सभ्यता को  दिया था . अगर कुछ मंत्र हम भी आपने जीवन मै ग्रहण करले तो हम भी सफल हो सकते है
  ज्ञानी व्यक्ति भूत या भविष्य की चिंता किये बगेर सफलता पाने के लिए  निरंतर कर्म मे लगा रहता है
ज्ञानी यह जनता है की  सभी सांसारिक सुख दुःख उसकी अपनी सोच है और कुछ भी स्थाई    नहीं है 
  
 कर्म पूरी एकाग्रता से उसके फल की कामना के करना चाहिए
 आत्मसंयम सफलता की कुंजी है
 सब के साथ समर्थन सहयोग और सद्भावना के साथ कार्य करना चाहिए
 योग्य और बुद्धिमान व्यक्ति कार्य लाभ की चिंता किये बगेर करना चाहिए . कार्य स्वयं मै एक अदभुत यात्रा है श्रेय पाने की लालसा उस यात्रा के आनंद को  समाप्त कर देती है
जब न्याय का पतन होता है और अन्याय अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाता है तब अपना उतरदायित्व समझने वाला नेता अपने प्रयत्नों से उभरकर सबके सामने आता है
एक उतर्दयित्व्पूर्ण नेतृत्व का उद्हेश्य बुरइयो को समूल नष्ट करना और न्याययुक्त मार्ग की रक्षा करना होता है . जीवन मै सफलता पाने वाले लोग ऐसे महान उद्हेश्यों  मैं अपना योगदान स्वयं करते है।